ज़र्रे-ज़र्रे के होठों पे वा देखकर
मौत चौंकेगी मेरा नवा देखकर
भर दिया ख़ून में हादसों ने ज़हर
जां निकलती है अब तो दवा देखकर
मिन्नतें, चापलूसी, दिखावा, सना
लोग करते हैं ख़ुद से सवा देखकर
मुद्दतों बाद इक मुठ्ठी आटा मिला
आज रो देगा चूल्हा तवा देखकर
सिर्फ़ महसूस करते हैं गांव में हम
लोग शहरों से आए हवा देखकर
क़र्ज़ है तुझपे सूरज सुब्ह इक मेरी
आ भी जाना कभी पल रवा देखकर
-सूरज राय सूरज