आ गए साथ जब तुम हमारे सनम,
राह मुश्किल भी आसान होती गई
बिन परों के उड़ी मैं गगन में प्रिये,
नैन सागर में खुद को डुबोती गई
रात जुगनू हुई दिन पखेरू चपल,
पल हमारे बने मीठी सदियाँ सकल,
मन धरा पर लिए साथ की कामना,
बीज आशा के हरपल मैं बोती गई
बिन परों के उड़ी मैं गगन में प्रिये,
नैन सागर में खुद को डुबोती गई
प्रीत में हम प्रिये यूँ तो मदहोश थे,
भाव सारे हृदय के भी खामोश थे,
छू गये जब हमारे अधर से अधर,
चैन रातों का अपने मैं खोती गई
बिन परों के उड़ी मैं गगन में प्रिये,
नैन सागर में खुद को डुबोती गई
तुम हमारे हुए हम तुम्हारे हुए
प्यार में हम चमकते सितारे हुए
होश भी न रहा न मैं बेहोश थी,
किंतु खुद से ही अनजान होती गई
बिन पैरों के उड़ी मैं गगन में प्रिये,
नैन सागर में खुद को डुबोती गई
बन गए चाँद तुम मैं बनी चाँदनी
रात सरगम सजी इक बनी रागिनी
प्रीत बदली बनी छा गई मन धरा,
बूँद जिसकी हमे तो भिगोती गई
बिन परों के उड़ी मैं तो ऊँचे गगन,
नैन सागर में खुद को डुबोती गई
श्वेता राय