कोरे पन्नों पर
बिखरी है मेरी दुनिया
तेरे लफ़्ज़ों में
बसी है मेरी दुनिया
खोयी खोयी सी
कुछ उलझी सी
तुम्हीं सुलझा दो ना
तेरी ही बातें तेरे ही चर्चे
बिखरे पड़े है तेरे ही किस्से
महके दिन वो बहकी रातें
तुम्हीं लौटा दो ना
सूने मन की गहरी उदासी,
थकी थकी सी बोझिल साँसें
सुर्ख पन्नों पर कोरी नींदें,
तुम्हीं सुला दो ना
चुप सी ख़ामोशी वीरान सी तन्हाई,
हर्फ़ों में गूँजती मद्धम सी शहनाई
मचलते ख़यालों की इस महफ़िल को,
तुम्हीं सजा दो ना
कोरे पन्नों पर
बिखरी है मेरी दुनिया,
तेरे लफ़्ज़ों में
बसी है मेरी दुनिया,
खोयी खोयी सी
कुछ उलझी सी,
तुम्हीं सुलझा दो ना
-श्रीमती सीमा कपूर चोपड़ा
फ्रीलैन्डगंज, दाहोद, गुजरात
उपलब्धियाँ-
*सन 2001 से अब तक वीमेन्स वैल्फेयर एसोसिएशन, दाहोद की प्रमुख संचालिका
*साहित्य सहित ललित कला और सांस्कृतिक क्रिया कलापों में परोक्ष व अपरोक्ष रूप से सक्रिय
*नीलाम्बरा काव्य संग्रह में रचनाएं प्रकाशित
*विभिन्न पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन
*प्राइड ऑफ वुमेन अवार्ड द्वारा सम्मानित
*स्वयमसिद्धा अवार्ड द्वारा सम्मानित
*तेजस्विनी अवार्ड द्वारा सम्मानित
*राष्ट्रीय आरिणी अलंकरण सम्मान द्वारा भोपाल में सम्मानित