कान्हा,
तुम्हें कौन-सा रंग लगाऊं
सूरज की,
लाली को
हाथों में भर,
गालों को भर जाऊं
कान्हा,
तुम्हें कौन-सा रंग लगाऊं
या फिर
काले-काले बादल को,
आँखों में भर जाऊं
कान्हा,
तुम्हें कौन-सा रंग लगाऊं
सात रंग के सपने सजा के,
अंबर से नीला रंग ले आऊं
कान्हा,
तुम्हें कौन-सा रंग लगाऊं
अपने प्रेम का रक्त बिंब,
तेरे माथे लगा जाऊं
कान्हा,
तुम्हें कौन-सा रंग लगाऊं
या फिर
पीली-पीली सरसों से,
आँचल को भर जाऊं
कान्हा,
तुम्हें कौन-सा रंग लगाऊं
या सारे रंगों को भर लाऊं
कान्हा,
तुम्हें सारे रंग लगाऊं
-प्रीति शर्मा ‘असीम’
नालागढ़, हिमाचल प्रदेश