घर वास का चौथा दिन- मनोज शाह

आज घर वास का चौथा दिन है
सब कुछ तेरा है, तेरे में ही अंतरलीन है

मोक्ष द्वार के है ये चार धाम
द्वारका, रामेश्वरम, जगन्नाथपुरी और बद्रीनाथ

हमारे आर्यवर्त में हुए मुनि चार
सनत, सनातन, सनंद और सनत्कुमार

इन चार नीतियों में, घूमती है हमारी देह
साम, दाम, दंड भेद

अति महत्वकांक्षी है जीवन में ये चार वेद
सामवेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद

ब्रह्मांड में तीन युग बीत चुका, चल रहा है चौथा युग
सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग

चार समय सुबह, दोपहर, शाम और रात
क्षीण हो रहा है जीवन पल-पल और जज्बात

इस युग में समाजों की शूल
सड़क पर पैर तले की धूल
कहे जाती हैं वेश्याएं
उस युग में उर्वशी, रंभा
मेनका और तिलोत्तमा
ये चार अप्सराएं

अगर जीवन सफल करनी हो,
तो मानो ये चार गुरु
माता, पिता, शिक्षक,
और अध्यात्मिक गुरु

जलचर, थलचर, नभचर
और उभयचर
इन चार प्राणीयों में मानव
श्रेष्ठ, शक्तिमान, बुद्धि,
विवेक निरंतर

ये कभी नहीं भूलनी चाहिए,
हम मनुष्य हैं
हमारे अंदर है चार पुरूषार्थ
धर्म, काम, मोक्ष और अर्थ

-मनोज शाह मानस
नई दिल्ली