जहाँ पर प्यार होता है वहीं रसधार होती है
जुबाँ की धार से तीखी कहाँ तलवार होती है
हमेशा ताल पर कुछ ताल दो पड़ताल मत करना
प्रिये शंका रहित मनुहार ही स्वीकार होती है
गुजरता प्रेम से जीवन अगर हो रहगुज़र सँग में
सजीली सुरमयी बोली सदा रसदार होती है
चलो कलदार कुछ सिक्के उछालें फिर हवा में हम
खनक उनकी अभी तक तो क्षितिज के पार होती है
पराये प्रेम से मितवा कभी राहत नहीं मिलती
सदा दिलदार की मीठी सदां अंबार होती है
लिये कस्तूर को फिरती मृगा अपने कलेजे में
सुरभि के सार से हर जिंदगी निस्तार होती है
बनो मन मीत दिल दर्पण निहारो हर खुशी उसमें
खुशी से प्यार करने पर खुशी गुलज़ार होती है
-डॉ उमेश कुमार राठी