वक्त की ये ज़रूरत मेरे साथियों,
चल सके न कोई बहाना है।
जिन्दगी भर जिसे तुम छुटा न सको,
रंग ऐसा हमें अब लगाना है।
घोंटकर भाँग रख ली है मैंने यहां,
प्रेम का रंग उस पर चढ़ाना है।
मानना मत बुरा चोट लगे यदि तुम्हें,
पर्व होली बहुत ये पुराना है।
जीत लें दिल दुश्मनों का भी हम,
दूरियां दिलों की सब मिटाना है।
पड़ सके न फीका गुलाबी गुलाल ये,
रंगोली होली की हमें तो सजाना है
-राम सेवक वर्मा
मोबाइल- 9454344282
विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तरप्रदेश