तुम- प्रीति असीम शर्मा

सारी कायनात,
तुम में सिमट जाती है।

मैं आसमां देखता हूँ
मुझे तू नजर आती है।

सारी कायनात,
तुम नजर आती है।

वैसाख के खेतों की,
रंगत में,
तेरा चेहरा पाता हूँ

तेरी उठी-गिरी पलकों में,
मौसम को बदलता हुआ पाता हूँ।

तू जो भी रंग ओढ़े,
वही रंग,
धरती से आसमां तक बिखर जाता है।

हवा की छूअन में,
जैसे कोई रब पा जाता है।

बाँहें खोल,
मैं इसे भरता हूँ

मैं तेरे होने की,
आहट पा जाता हूँ
और मेरा रोम-रोम खिलता है,

और जब जिदंगी की उदासी में
यह जीवन जब खलता है

नदिया की कल-कल में
तेरी सांसों को सुनता हूँ

जिस चीज को भी
मैं छू लूँ, तुम को छूने सा लगता है।

-प्रीति असीम शर्मा

परिचय-
नाम -प्रीति शर्मा ‘असीम’
पिता का नाम- प्रेम कुमार शर्मा
माता का नाम- श्रीमती शुभ शर्मा
पति का नाम- असीम शर्मा
स्थायी पता- वार्ड नम्बर-8, निकट गुरुद्वारा, नालागढ़, जिला-सोलन (हिमाचल प्रदेश) पिन-174101
शिक्षा- बीए स्वामी प्रेमानंद कालेज मुकेरियां (पंजाब), एमए अर्थशास्त्र (दोआबा कालेज, जालंधर), बीएड (चिनाब कालेज, जम्मू)
रुचि- पढ़ना, लिखना, खाना बनाना, रचनात्मक कार्य आदि।
भाषा ज्ञान- हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी।
प्रकाशित रचनाएं- संयुक्त काव्य संग्रह आखर कुंज, पिता, समंदर के मोती। इसके अतिरिक्त दैनिक भास्कर, हिमाचल प्रदेश, बुंदेलखंड मीडिया, अमर उजाला, नैशनल राईटर एंड कल्चरल फोरम, साहित्यनामा पत्रिका, पंजाब केसरी, पंजाब, सटोरी मिरर आदि पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन।
सम्मान-अटल काव्य सम्मान, श्री सुर्दशिनका राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका, साहित्य गौरव सम्मान (छंद मुक्त अभिव्यक्ति मंच)