मातृ भक्ति पितृभक्ति भावना अपार हो
पुत्र, पुत्रवत रहे कि भाइयों में प्यार हो
शांतिप्रिय आचरण सहेजती हो वल्लभा
सौम्यता खिले मिले स्वभाव में शुमार हो
हौसला मिले नया पड़ोसियों के मेल से
मित्र का मिलाप हास खुशनुमा बहार हो
ऊँच नीचता मिटे समान भाव पल्लवित
नेक कर्म का सदा समाज कर्जदार हो
गाँव-देश जाति -पति रंग-रूप से रहित
एक देश एक वेश एक ही विचार हो
नागरिक निरोग योग भक्ति में निरत रहें
देशभक्ति एक फ़र्ज सा लगे उधार हो
प्रेम पूर्ण प्रेरणा परोसती प्रबुद्धता,
पुण्यवान पात्र प्राप्त प्रेम की पुकार हो
-रकमिश सुल्तानपुरी