प्रेम है जताइये- बलराम निगम

प्रेम है जताइये
बात मत छिपाइये

जब हृदय द्रवित हुआ
मौन अंकुरित हुआ
भाव मन जगे यहाँ,
प्रेम प्रस्फुटित हुआ
दो कदम बढ़ाइये
साथ अब निभाइये

सावनी फुहार है
हर तरफ बहार है
प्रेम की कली खिली,
जीत है न हार है।
मीत गुनगुनाइये
प्रेम गीत गाइये

चाँद हो चकोर हो
तुम हृदय के चोर हो
सूर्य की प्रथम किरण,
जिंदगी की भोर हो
पास आ कभी हमें,
भी गले लगाइये

तुम कली खिली-खिली
दीप सी जली-जली
रंग है जुदा-जुदा,
सादगी पली-पली
प्रेम की अगन लगे
आइये, बुझाइये

रो रहा सुबक-सुबक
जा रहा बहक-बहक
है कसक अजीब सी,
दिल रहा सिसक-सिसक
अश्रु कीमती बड़े
और ना रुलाइये

-बलराम निगम
कस्बा-बकानी,
जिला-झालावाड़, राजस्थान
मोबाइल-9166898444