फागुन जो आ गया है- पूनम शर्मा

पीली पीली सरसों लहराने लगी है हवाओं के स्पर्श से शरमाने लगी है,
उसपर भी,
फागुन का खुमार छाने लगा है

अब वो कानाफूसी कर
बतियाने लगी है,
फागुन जो आ गया है

डहेलिया, अपने यौवन पर
इतराने लगी है
पलाश के फूल अपने
रंग पर गर्वित होने लगे हैं
उन पर भी, मधुमास छाने लगा है
फागुन जो आ गया है

तुम लम्बी लम्बी, सांसें ले
अपने में समेटेना चाहते हो,
मैं भी इंतजार कर रही हूँ
उस खुशबू से एकाकार होने को,
फागुन जो आ गया है

मैं इंद्रधनुषी रंगों को
उड़ेलना चाहती हूं
रंगों से सराबोर करना
चाहती हूं
रंग गुलाल से
बचकानी हरकतें
करना चाहती हूँ
फागुन जो आ गया है

-पूनम शर्मा
मेरठ