बदल देना है मुझको- अनामिका वैश्य आईना

बदल देना है मुझको अब नजारें इन निगाहों के
मुसाफ़िर बदलने हैं मुझे अब जीवन की राहों के

पढ़ो आँखें कुछ तो समझो सजा दो माँग ये मेरी
दिल को भाने लगे मौसम सजन ये तेरी बाहों के

नज़र ये देखे तुझको ही इश्क़ की गुजारिश कर
कहां तक जाऊँगी भला मैं सिवा तेरी पनाहों के

चुपके से चले आना बहाना करके इस ज़माने से
समझ लेना मेरे साजन इशारे तुम मेरी आहों के

बेअसर नहीं हो दुआएँ दुखियों और गरीबों की
तबाही मिलती है जीवन में बदले में कराहों के

-अनामिका वैश्य आईना
लखनऊ