माँ- अमृता कुमारी

माँ से अधिक, न करता लाड़ कोई
माँ से अधिक, न सहता कष्ट कोई
माँ से ही तो हम हैं,
न माँ तो न हम
माँ से अधिक, न कीमती चीज़ कोई
खुद जगकर, हमें लोरी सुनाती
खुद भूखी रहकर, हमें खिलाती
माँ से ही तो हम हैं,
न माँ तो न हम
माँ नहीं तो सब ग़म ही ग़म है

-अमृता कुमारी