माँ- प्रीति वर्मा

फूलों की जैसी कोमल
पथर की जैसी कठोर
हृदय है उसका
जिस ने जन्म दिया
कहते हैं जिसे माँ

फूल तो होते हैं सुन्दर
परंतु मुरझा जाते हैं एक दिन
पर ना मुरझाती हैं माँ
खड़ी रहती हैं मुसीबतों में
डट कर करती हैं मुकाबला
नहीं होने देती हैं पीड़ा
ऐसी हैं वह कठोर
कहते हैं जिसे माँ

माँ माँ माँ
है वह ईश्वर से बढ़ कर
जिसका स्वभाव हैं प्रेम
हैं वह ममता की मूरत
कहते हैं जिसे माँ

खुद न खाना खा कर
हमे हैं खिलाती
ऐसी हैं ममता की मूरत
कहते हैं जिसे माँ

सब साथ छोड़ जाते हैं
सब रिश्ते तोड़ जाते है
पर ना कभी छोड़ा साथ
कहते हैं जिसे माँ
कहते हैं जिसे माँ

-प्रीति वर्मा