जब निभाना नहीं तो बनाया ही क्यों
प्रेम की आग दिल में लगाया ही क्यों
दर्द देकर ज़रा भी देखते भी नहीं वो
रुलाना था दिल फिर हँसाया ही क्यों
हौसला ही न था निभाने का तो फिर
कहो मुझसे ये रिश्ता बनाया ही क्यों
तेरी दुनिया ही तुझको प्यारी थी तो
प्यार मुझसे हर पल जताया ही क्यों
कहा था आसां नहीं है मुझे झेलना
विश्वास मेरे दिल को दिलाया ही क्यों
-अनामिका वैश्य आईना
लखनऊ