फूले टेसू-मोगरा, फूल गयी कचनार।
गेंदा चंपा खिल गये, फूला हरसिंगार।।
बेला, जूही, केतकी, फूले लाल गुलाब।
फूल गयी गुलदाउदी, दिल में जागे ख़्वाब।।
सेंवल सरसों भी खिले, कीकर फूली डार।
संदल, रानी रात की, महकाती संसार।।
महुआ अरु मधुकामिनी, महकाते हैं श्वांस।
रक्त वर्ण कानन हुआ, रक्तिम खिले बुरांस।।
आमों पर अमराइयाँ, सुरभित हुई बयार।
रंग-बिरंगे पुष्प से, धरा करे श्रृंगार।।
मालिन धागे में पिरो, बना रही है हार।
ऋतु वासंती आ गयी, जगा रही है प्यार।।
कली-कली पर भ्रमर भी, करते हैं गुंजार।
तितली की अठखेलियाँ, विस्मित देख कतार।।
तन-मन पुलकित कर रहा, होली का त्यौहार।
जीवन में छाई रहे, यूँ ही सदा बहार।।
-स्नेहलता नीर