जो छाया है, वही छपेंगे
हम तो अपने ही गम के साये हैं
जो खाया है, वही खायेंगे
हम तो सच्चाई का पाठ पढ़ आये हैं।
जहाँ शोर है, वहीं घोर होंगे
हम तो अघोर अवस्था में खुद को पाये हैं
जो कल किये हो, वही आज पाओगे
हम तो अक्सर कल को आज में पाये हैं।
जहाँ उम्मीद है, वहीं उमंग को पाओगे
हम तो नाउम्मीदी में उमंग को अपाहिज पाये हैं
-खुश्बू ठाकुर