सोनल मंजू श्री ओमर
राजकोट, गुजरात- 360007
अबीर, गुलाल, रंग है, होली का हुड़दंग है।
रंगों के नशे में, सबके मन मलंग हैं।।
अबीर, गुलाल, रंग है…
सबके मन को हर्षायी, फागुन की बहार आई।
जन-जन गाएं फगुआ, दिलों में उमंग है।।
अबीर, गुलाल, रंग है…
खेतों में सरसों खिले, पीले-पीले फूल हिलें।
हरी-भरी धरा पर, उड़ते विहंग हैं।।
अबीर, गुलाल, रंग है…
भर-भर लाए पिचकारी, रंग दी चुनर सारी।
साजन रंगे सजनी को, अजब ये तरंग है।।
अबीर, गुलाल, रंग है…
नीला, पीला, लाल, गुलाबी, बचे न कोई जरा भी।
प्रेम के रंग में भिगोकर, रंगों अंग-अंग हैं।।
अबीर, गुलाल, रंग है…
चिप्स खाओ, पापड़ खाओ, मीठी-मीठी गुझिया खाओ।
तरह-तरह के मिष्ठानों से, मुँह में घुला रसरंग है।।
अबीर, गुलाल, रंग है…
होली का त्योहार है, रंगों की बौछार है।
झूम-झूम के नाचों गाओ, घुटी आज भंग है।।
अबीर, गुलाल, रंग है…
सभी धर्मों को प्यारा, ये होली पर्व न्यारा।
भूल के आपसी रंजिशें, सब गले मिलते संग हैं।।
अबीर, गुलाल, रंग है…
अबीर, गुलाल, रंग है, होली का हुड़दंग है।
रंगों के नशे में, सबके मन मलंग हैं।।
अबीर, गुलाल, रंग है…