आते है बाढ़ बहुत सोच-समझकर,
संग ले कुछ मौन लफ्जो का बहार
छोड़ जाते है कुछ उर्वर मिट्टियों का उपहार,
लोगो का उजाड़ घर-संसार
तोड़ देते है वे निर्माणों का मान,
मोड़ देते है वे विश्वासों की शान,
क्या लाभ है क्या हानि,
यह हमारी सोच की मनमानी
पर, सागर मे क्यूं नही होता
बाढ़ की हलचल का काल
हां, गंभीर पड़ा है सागर
ज्ञान की पूर्णता समझाता सागर
-पंकज कुमार