साहित्य रात की बेचैनी: जॉनी अहमद By लोकेश नशीने - May 23, 2021 Share WhatsAppFacebookCopy URL हर रात की बेचैनीहमने अकेले जीनी। तुमने रिश्ता तोड़केहमसे साँसे छीनी। और ना आँसू पीनेहमने ज़हर है पीनी। उफ़ ज़हर है कड़वाज़रा डाल दो चीनी। इश्क़ नहीं दुनियाईबात ये पूरी यक़ीनी। जॉनी अहमद ‘क़ैस’