इस बात पे यकीं है हर बात से ज़ियादा
मुझको मिला है मेरी औक़ात से ज़ियादा
इक शाम बाम पे जो उतरा था इक सितारा
देखे हैं ख़्वाब मैंने उस रात से ज़ियादा
क्या ढूँढने चले हो तुम साथ उम्र भर का?
लेते हो काम तुम भी जज़्बात से ज़ियादा
आँखें झुका के उसने बदला है अपना रस्ता
मजबूर दिल से कम था हालात से ज़ियादा
डरता है इन दिनों कुछ लोगों की भीड़ से वो
मय्यत से कम ज़रा पर बारात से ज़ियादा
डॉ भावना श्रीवास्तव