दोगले क़िरदार में आया
इश्क़ जब बाज़ार में आया
लफ़्ज़ आहों में तपे निकले
वज़्न तब असरार में आया
ज़िस्म खो बैठी ग़रीबी तो
मामला सरकार में आया
इश्क़ को जब भी लगी ठोकर
लौटकर मझधार में आया
ज़हर शहरों से रवाना हो
आपके परिवार में आया
चाल दुनिया की रुकी लेकिन
वायरस रफ़्तार में आया
लोग तन्हा हो गए ‘रकमिश’
दर्द जब भी प्यार में आया
रकमिश सुल्तानपुरी