ख़ुशहाल जिंदगी का तमाशा बना दिया
पल भर में आपने मुझे झूठा बना दिया
सुनते भला कहाँ से मुहब्बत की चीख हम,
जिस्मों की भूख ने हमें बहरा बना दिया
ये इश्क़ का कमाल है, न जाने कितनी बार,
तन्हाइयों में आपका चेहरा बना दिया
मेरी मजाल क्या है जफ़ा इश्क़ से करूँ,
कितनों को अहले इश्क़ ने बच्चा बना दिया
निकला जो घर से यार मैं मंजिल के वास्ते,
मंजिल मिली न, दर्द को अपना बना दिया
आती नजर नहीं इसे अपनी ही गलतियां,
लालच ने आदमी को जो अंधा बना दिया
रकमिश मिला न आज भी दिल का ख़रीददार,
लोगों ने दिल को रौद के सस्ता बना दिया
रकमिश सुल्तानपुरी