बेवजह हमें फोन किया ना करो,
इस तरह मेरी धड़कनों को आंका ना करो,
तुम्हारी गुमशुदगी की खबर हैं हमें,
उम्मीद का झूठा दिलासा दिलाया ना करो।
मेरी वफा पे इल्जाम ना लगाओ,
इश्क़ को भरे बाजार नीलाम ना करो,
रो कर भी मुस्कुराना हमारा हुनर सा हो गया,
सरेआम हमें रुलाया ना करो।
हमें पता हैं, मुस्तक़बिल में हमारी दरकार नहीं तुम्हें,
तुम पर हमारा कब्जा ना रहा,
बेवजह मसले को आगे ना ले जाओ,
इस तरह तुम अपना वक्त जाया ना करो।
हजारों की भीड़ में मेरी पहचान छुपाते हो,
तुम अकेले में हमारा हाल पूछा ना करो,
अब ये समझ लेना कि हम कभी मिले ही नहीं,
बेमतलब का ताल्लुक़ रक्खा ना करो।
बीते पल का हिसाब हमसे मांगते हो,
दो दूनी चार समझाया ना करो,
आखिरी गुज़ारिश हैं मेरी तुमसे,
दूसरों की आईडी से मेरा प्रोफ़ाइल चेक किया ना करो।
प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश