रूढ़िवादी बेड़ियों को तोड़कर,
मैं स्वतंत्र विचारों संग आगे बढ़ना चाहती हूं
स्वाभिमान की राह पकड़कर,
मैं आत्मसम्मान से जीना चाहती हूं
रिश्तों को निभाने के लिए,
मैं बार-बार वजूद को खोना नहीं चाहती हूं
मजबूत इरादों के साथ,
मैं अपने मंजिल को तराशना चाहती हूं
आधुनिक भारत की नारी बनकर,
मैं अपना मार्ग स्वयं चुनना चाहती हूं
जिम्मेदारियों को निभाते हुए,
मैं परिवार को प्यार की,
मजबूत डोर से बांधना चाहती हूं
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश