देवलाल गुर्जर की कविताएं

1
उससे मिला
तब भी उसने दुख साझा किया

फिर मिला
तब भी उसने दुख साझा किया

अबकी बार मिला
तब भी उसने दुख साझा किया

पता नहीं
उसने दुख साझा किया
या हर बार प्रेम!

2
तुम्हारे मिलने की यात्रा
एक दुःखद यात्रा है
फिर भी मिलने चले आया

कि अब स्मृतियां
धूमिल हो चुकी होंगी
और तुम अब भी वहीं रहती होगी
जहाँ मैंने छोड़ा था

लौटने की आशा नहीं थी
फिर भी लौटना पड़ा

अक्सर गुमनाम प्रेमी अपना पता
बताकर नहीं जाते
वे छोड़कर चले जाते है

क्योंकि
अधिक प्रेम करने वाले
अक्सर बीच रास्ते में छोड़ जाते है
और जब लौटकर आते हैं तो
कोई प्रसिद्ध प्राप्त करके आते हैं
और वे बुद्ध बन जाते है
और तुम रह जाती हो यशोधरा!

देव लाल गुर्जर
कुम्हरला, पो. रोनिजा, तह. हिण्डोली,
बूँदी, राजस्थान-323024
संपर्क- 9694863097