मैं हूं साथ खड़ा तेरे,
फिर डरने की क्या बात,
हौसला उम्मीद से कर लेंगे,
ये नौका भी पार
तू बन तो सही हिम्मत मेरी,
कर थोड़ा विश्वास ज़रा,
दृढ़ता के छोर से रच दे,
अब तू इतिहास बड़ा
घबराना नहींं मेरे यार,
जब तक हूं में संग तुम्हारे,
पंहुच ही जायेंगे मंजिल तक,
गर हौसले हैं बुलंद हमारे
मंजर बदलेगी तेरी कहानी,
जिससे रहेगा न कोई सानी,
तेरी हर चुनौतियाँ अब,
लोहा लेकर तैयार हैं,
गर मजबूत हैं इरादे तेरे
तो तू शस्त्र और प्रहार है
विषमता को आंको ना तुम,
ये तो बस जी जंजाल है,
कमजोर नहीं तू बलिष्ट है,
मेरे यारा ये तेरी पहचान है
चल हो जाये एक और एक ग्यारह
अब तेरे संग जिदंगी गुलज़ार है
सुनील माहेश्वरी
दिल्ली