जब तुमसे बात नहीं हो पाती
तब बात न हो पाने की बात
किसी नटखट बच्चे की तरह
आकर मेरे कानों के पास
जोर से कहती है
आज नहीं हुई बात?
मैं अनजान
अनसुना होने का अभिनय करता हूँ
लेकिन कुछ देर बाद
बात न हो पाने की बात
फिर से
उछलती हुई किसी गेंद की तरह आकर मुझसे टकराती है
और बार-बार मुझे
बात न हो पाने का बोध कराती है
इस तरह
तुमसे बात न हो पाने की
एक नन्हीं-सी बात
जगा कर चली जाती है
मेरे सोये हुए मासूम जज़्बात
जसवीर त्यागी
नई दिल्ली