सावन
फुहार में
झूला झूले मतवारी
गाये गीत
मल्हार
गोरी
का मन
डोले देख के
रिमझिम रिमझिम
फ़ुहार
प्यारे
लगते हैं
सावन आँगन झूला
संग पिया
के
याद
बहुत आता
वारि धार में
भींगता वो
बचपन
झूला
सबका प्रिय
हो बचपन या
फ़िर हो
पचपन
ज्योति अग्निहोत्री ‘नित्या’
इटावा, उत्तर प्रदेश