तुम जिंदा रहना- हेमचंद्र सकलानी

कलम
जीवन भर तुमने
हर सुख दुख में मेरा
साथ निभाया है
मैं रोया तुमने
कागज पर
आँसू छलकाए हैं
मैं जब जब मुस्कराया
तुमने कागज पर
ढेरों रंग बिखराये हैं।
अक्सर सोचा करता हूँ
तुम न होती
तो कैसा होता
इस दुनिया का
रंग -ढंग।
धन्य हो तुम
और वो मित्र तुम्हारे
जिनका तुम
साथ निभाती हो
केवल तुम्हारे
हस्ताक्षर से रुक जाती
दुनिया के हर
मानव की हर पीड़ा,
देशों की हर जंग।
आएं – जाएं कितने
दिन महीने मौसम साल
चाहे कितनी
सुख दुख की बरसातें
कलम तुम बस
जिंदा रहना,
जिंदा रहकर तुम
चलती रहना,
कलम तुम
चलती रहना

-हेमचंद्र सकलानी