चित्रा मुद्गल जी का साहित्यिक जीवन दर्शन: डॉ निशा अग्रवाल

डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान

साहित्य जगत की शान बनी हो, हर क्षेत्र में आपने काम किया।
यूपी की माटी में जन्मी, कलम को ऐसा विख्यात किया।
जीवन के हर कदम कदम पर, सीना तान संघर्ष किया।
आत्मविश्वास, दृढ़ता की नाव पर, अडिग रहकर सवार किया।।
मुंबई की झोंपड़ी पट्टी में, जिन बाइयों ने काम किया।
उनके लिए ही बनी संस्था, जागरण में अपना नाम किया।।
कामगार, मजदूर यूनियन की, कार्यकर्मा बनकर के
हिम्मत जोश उन्हें देकर ,सफल मुकाम हासिल है किया।
शिक्षा दीक्षा में अब्बल होकर, शिक्षा की कमान को थाम लिया।
N C E R T स्टडीज यूनिट की, निदेशक पद पर काम किया।।
चिमू नाम से पत्रिकाओं में, धारा प्रवाह लेखन है किया।
फिल्म सेंसर बोर्ड से लेकर ,इंडियन पैनोरमा तक नाम किया।।
नही छोड़ा अंतरिक्ष विभाग भी ,परमाणु ऊर्जा तक पहुंच गई।
जहां ये सलाहकार समिति की मानद सदस्य बन गई।।
नाटक, फिल्म कहानी लेखन ,सब में ये आगे है रही।
सातवे विश्व हिंदी सम्मेलन की ,सम्मान समिति की सदस्य रहीं।।
M H R D, इंडिया गवर्नमेंट के संस्कृति विभाग तक पहुंच गई।
उस विभाग के द्वारा वरिष्ठफैलोशिप से नवाजी गई।।
इंडियन क्लासिक प्रसार भारती में ये चेयरपर्सन रहीं।
डांकतार विभाग सलाहकार समिति में सदस्य रही।।
“गिलीगड्ड”,”आवा”,” द क्रुसेड” आदि उपन्यास लिखे।
“एक जमीन अपनी” के दो संस्करण सहित प्रकाशित हुए।।
लघु कथा, बाल उपन्यास इनके बहुत प्रकाशित हुए।
बाल मनोविज्ञान लेखों ने ,चार चांद लगा दिए।।
इर्द गिर्द देखे दृश्यों को अपनी कहानियों में उकेर दिया।
यूं मानो चित्रा जी ने अंतर्मन को चित्रित है किया।।
“केंचुल”, “भूख”,”बयान”,”जिनावार”, उपन्यास उल्लेख किया।
“जहर ठस हुआ”, “इस हमाम में”, अनन्य ,प्रभात ने छाप दिया।।
“जंगल का राज”कहानी, “कांच की किरच” कहानी लिखी।
ऐसे प्रेरक लेखों ने,जन जन को संदेश दिया।।
“दशरथ का वनवास” नाटक जी टी.वी. पर प्रसारित हुआ।
बहुभाषी व्यक्तिव चित्रा जी, कहानियों का अनुवाद किया।
“एक जमीन अपनी” उपन्यास से युवा पीढ़ी को जागरूक किया।
उदयपुर सुखाडिया यूनिवर्सिटी ने, एमए पाठ्यक्रम में शामिल किया।।
“इनकी ग्यारह लंबी कहानियां” ओसाका तक पहुंच गई।
ओसाका जापान यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में शामिल हो गईं।।
एन सी ई आर टी पाठ्यक्रम में “रिश्ते” कहानी को शामिल है किया ।
ग्यारहवीं कक्षा की हिंदी में इसको जोड़ दिया।।
“डोमन काकी” कहानी को केरल पाठ्यक्रम में संकलित किया।
“गिलीगड्डू” उपन्यास त्रिवेंद्रम यूनिवर्सिटी में शामिल है किया।।
राजस्थान यूनिवर्सिटी पाठ्यक्रम में, “जिनावर” कहानी को जोड़ दिया।
“जगदम्बा बाबू गांव आ रहे है”,पुणे पाठ्यक्रम में जोड़ दिया।।
व्यंग्य लेख ,लघु कथा ,कहानी पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं।
ऐसी महान सख्शियत शिक्षा के क्षेत्र में छाई हुई।।
साहित्य जगत के सम्मान पुरस्कार इनकी झोली में आए है।
बाल साहित्यिक सम्मान से लेकर राधिकारमण तक पाए है।
फणीश्वरनाथ सम्मान से लेकर,दिल्ली साहित्य सम्मान मिला।
व्यास सम्मान से लेकर प्रज्ञा ,विदुला सम्मान मिला।।
वागमणि सम्मान से लेकर, चक्रधर से सम्मानित हुई।
साहित्य भूषण सम्मान पाकर चित्रा जी, शिखर सम्मान तक पहुंच गईं।।
देश की इस धरती से लेकर, लंदन साहित्य सम्मान मिला।
देश विदेश सब नाप लिया है, सम्मान प्यार भरपूर मिला।।
चित्रा जी का साहित्य जीवन आज मैने चित्रित है किया।
छोटी सी कोशिश है मेरी, चित्रा पथ मैने नाप लिया।।
ना कोई पैमाना ऐसा, इनके साहित्य मार्ग को मैं माप सकूं।
इनके जैसा आत्मबल, बुद्धि चेतना मै पा सकूं।