शिक्षाविद डॉ. निशा अग्रवाल की चार पुस्तकें लोकार्पित

राजस्थान की शिक्षाविद एवं ख्यातिनाम लेखिका डॉ. निशा अग्रवाल की चार पुस्तके युवा पीढ़ी के बढ़ते कदम, बाल शिक्षा में नवाचार, मशीनों की बुद्धिमता: एक अध्ययन और योग शिक्षण का जयपुर में समारोह पूर्वक भव्य लोकार्पण हुआ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि धराधाम प्रमुख, मानद कलपति सौहार्द शिरोमणि संत डॉ सौरभ पाण्डेय, विशिष्ट अतिथि के रूप में उर्दू पाठ्यक्रम समिति यूपी के सदस्य डॉ अहसान अहमद, निरोजा ग्रीन इंडिया परिवार फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. नीरज गुप्ता, विश्व रिकॉर्ड होल्डर एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रकार डॉ शंभू पंवार, समाज सेवी समीर पांडेय एवं सैयद सादान उपस्थित रहे। अतिथियों का मैंथलीशरण अग्रवाल ने साफा और माला पहना कर स्वागत किया।

लेखिका डॉ.निशा अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में अपनी पुस्तक युवा पीढ़ी के बढ़ते कदम” के माध्यम से, हम युवा पीढ़ी के साथ संवाद को बढ़ावा देते हैं और उनकी अवधारणाओं, विचारों और दृष्टिकोणों को समझते हैं। इस पुस्तक का उद्देश्य युवा पीढ़ी को निरंतर उत्साहित करना है ताकि वे समाज में अपना नया और सकारात्मक योगदान कर सकें। इस तरह बाल शिक्षा में नवाचार पुस्तक नवीनतम शिक्षण पद्धतियों, शिक्षा मानकों और बालकों की जरूरतों का विवेचन करती है। यह शिक्षा के क्षेत्र में नए और अद्वितीय दृष्टिकोण और तकनीकों का परिचय देती है ताकि शिक्षकों और शिक्षिकाओं को अपने शिक्षा कौशल को मजबूत करने का मार्गदर्शन किया जा सके।

इन्होंने अपनी अगली पुस्तक ‘मशीनों की बुद्धिमत्ता’ एक अध्ययन के बारे में बताया कि यह पुस्तक मशीन लर्निंग, एआई और रोबोटिक्स जैसी विभिन्न दिग्गज विज्ञानों के क्षेत्र में लोगों की समझ को बढ़ाने के लिए लिखी गई है। यह पुस्तक इन तकनीकी विषयों को गहराई से व्याख्या करती है, जैसे कि मशीनों द्वारा स्वयं सिखने की क्षमता, आधुनिक स्वयं चलने वाले उपकरणों की उत्पत्ति और मशीनों की बुद्धिमत्ता कैसे मानव जीवन को परिवर्तित कर रही है। इस पुस्तक के माध्यम से, पाठकों को नवीनतम तकनीकी उत्पादों और उनके संभावित प्रभाव की समझ में मदद मिलती है तथा इनकी योग शिक्षण पुस्तक योग की प्राचीन धारा, जो हमें विश्वास करने और समझने के लिए प्रेरित करती है, हमें अपनी आत्मा के अद्वितीय अंतर्निहित प्रकाश के साथ जोड़ती है। यह अनुभव हमें स्वयं को पूरी तरह से समझने और प्रकट करने की क्षमता प्रदान करता है, जिससे हम अपने जीवन को सार्थक और ध्यानपूर्ण बना सकें। अंत में अरुण अग्रवाल ने आभार व्यक्त किया।