जीत की ओर: गौरीशंकर वैश्य

धीरे-धीरे सही, जीत की ओर बढ़ रहे हम
दुःख-पीड़ा के बीच, धैर्य का पाठ पढ़ रहे हम
चुनौतियों में फँसकर भी मुस्कुराता जीवन है,
संघर्षों से, नव भविष्य की मूर्ति गढ़ रहे हम

हरे-भरे वृक्षों को, मत काटो भाई
कूप, झील, तालाब, बावड़ी, मत पाटो
भूमि, वायु, जल और प्रकृति को स्वच्छ रखो,
नहीं बुझेगी प्यास, ओस को मत चाटो

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर,
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