तुम्हें चाहने में: रूची शाही

रूची शाही

उम्मीदों की धूप खिली है, दर्द के कुहासे हैं
इस दिल के भीतर तेरी यादों के दिलासे हैं
रूह, नजर, दिल, धड़कन सब तड़प रहे तेरे लिए
सूरत ना देखी तेरी, हम कबसे भूखे-प्यासे हैं

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बड़ी मुश्किलों से दिल के जख्म सी रहें है
तुमसे जुदा हैं फिर भी तुमको ही जी रहें हैं
मर भी गए तो हमको गिला तुमसे नहीं है
जहर है ये मुहब्बत, फिर भी हम पी रहें है

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इन आँखो में यादों की नमी रह गयी थी क्या
फिर से मेरी पलकें शबनमी रह गयी थी क्या
जरा-जरा सी बात पे हमें बेसुकून करते हो तुम
बोलो तुम्हें चाहने में कोई कमी रह गयी थी क्या