एक उम्र: अनिता वेदांत

एक उम्र के बाद
छूट जाता है उतावलापन
चीजों को लेकर खतम होती व्याकुलता
मानो हो जाता है सब स्थिर
एक उम्र के बाद

खतम होता बचपन
बढ़ती गंभीरता
काले बालों के वो बीच वो सफेद बुढ़ापा
तनी आंखों के नीचे
लटकती झुरियां
एक उम्र के बाद

बच्चों की चिंता
उनके भविष्य का असमंजस
सब खींच कर ले आता है बुढ़ापा
एक उम्र के बाद

मर जाती है चंचलता
देखने लगती है गंभीरता
हर चीज हो जाती है नपी तुली
एक उम्र के बाद

हम सब जो नही होते
वो हो जाते है
कभी खुद से जीत जाते
कभी हार जाते है
एक उम्र के बाद

अनिता वेदांत