प्रेम का प्रतीक है होली: डॉ निशा अग्रवाल

डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान

रंगीन त्यौहार है आया कि मन खुशियों से झूमे है
हरे, नीले, लाल रंग ने अनेकों रंग बिखेरे हैं

मगर एक रंग है अदभुत, जो प्रकृति में अनोखा है
प्रेम रंग रंग है ऐसा, जिसे कान्हा में देखा है
मगर एक रंग है अदभुत, जो प्रकृति में निराला है
प्रेम रंग रंग है ऐसा, कि विष भी अमृत का प्याला है

रंगीन त्यौहार है आया, कि मन खुशियों से झूमे है
हरे, नीले, लाल रंग ने अनेकों रंग बिखेरे हैं

भाव ऐसा जगा कान्हा, कि कटु दुर्भाव मिट जाए
आहुति नफरत की देकर, प्रेम रंग में ही रंग जाएं
ये रुसवाई मिटा कान्हा, प्रेम ज्योति में छिप जाए
रहे कोई ना बेगाना, सभी मुझमें ही रम जाएं

रंगीन त्यौहार है आया, कि मन खुशियों से झूमे है
हरे, नीले, लाल रंग ने अनेकों रंग बिखेरे हैं

बुराई पर अच्छाई जीत की, हासिल करो एक बार
सोच बदलो, नजर बदलो, नजरिया बदल जाए हर बार
फिर पतझड़ में भी आ जाए, बसंत मन फूलों सी बहार
फिर देखो खुशनुमा और जगमगाता आपका संसार

रंगीन त्यौहार आया है, कि मन खुशियों से झूमे है
हरे, नीले, लाल रंग ने अनेकों रंग बिखेरे हैं