प्रेमकथा: प्रार्थना राय

आज एकान्त में निर्भय हो
लिखो एक प्रेमकथा विश्वास की
भयक्रांत को त्याग स्वतंत्र हो कर
जागो आर्यपुत्रो नवीन प्रतिमान गढ़ो
प्रेम की लाल आग को स्याही बनाकर
लिखो प्रेमकथा 

लिखो तुम, नफ़रती बाजों के जमात को
जिसने ज़मी को खूं से तर किया
सफेदपोश बनकर
चीर दो कलेजा अंधेरे का
रोशनी आने तो दो
लिखो प्रेमकथा

यात्रा के उस पड़ाव पर
हम आ पहुँचे हैं
जहाँ लाचारी ने डेरा डाला
अपने बचाव के लिए प्रयास आवश्यक है
संभावनाओं को जीवित कर
अधमरी लाचारी के मध्य रास्ता बनाओ
लिखो प्रेमकथा

सभ्यता के गौरवशाली मनुज
तुम मानवता की पहचान हो
परंपराओं में पुनः फूंको प्राण
सहमी हुई वायु को खुलकर बहने दो
एक बार होने दो सुहागरात
नैतिकता और मानवता की
लिखो प्रेमकथा

संकल्प लो सुमार्ग सत्य का
श्रृखँला ना टूटे मानवता की
विश्वास से दुश्वारियों का अंत करो
सनातनी छाती पर लहराओ
भवानी पताका, मध्य लिखो
हम माँ भारती की संतान हैं
लिखो प्रेमकथा 

प्रार्थना राय 
देवरिया, उत्तर प्रदेश