मेरी माँ मुझे बहुत प्यार करती है
पर फिर भी मेरी फिकर करतीं है
माँ मैं तेरी लाड़ली हूँ
तू मेरी जन्नत, जहान है
फिर क्यूं मेरी फिकर करतीं है
मेरी माँ मुझे बहुत प्यार करती है
पर फिर भी मेरी फिकर करतीं है
तूने मुझे उंगली पकड़कर चलना सिखाया
तेरे लाड़ प्यार से में पली बड़ी हुई
तेरे आंचल की छांव में पड़ी बड़ी हुई
फिर क्यूं मेरी फिकर करतीं है
मेरी माँ मुझे बहुत प्यार करतीं है
पर फिर भी मेरी फिकर करतीं है
माँ मैं तेरी गुड़िया हूं
तू मेरा सर्वग्य हैं
तूने मुझे जीना सिखाया
तेरे साथ हंस-खेल कर में बड़ी हुई
फिर क्यूं मेरी फिकर करतीं है
मेरी माँ मुझे बहुत प्यार करतीं है
पर फिर भी मेरी फिकर करतीं है
मेरी माँ मेरा अभिमान, मेरा सम्मान है
तूने मुझे इस जहां की सारी खुशियां दी है
तूने मुझे सही ग़लत का पता बताया
फिर क्यूं मेरी फिकर करतीं है
मेरी माँ मुझे बहुत प्यार करती है
पर फिर भी मेरी फिकर करतीं है
तेरे रहते जीवन में कोई ग़म नहीं होगा
पर दुनिया साथ दे या ना दे
पर ‘माँ’ तेरा प्यार कभी कम नहीं होगा
-दीपा सिंह