संध्या कुमारी
प्राध्यापिका, एसडीपी कॉलज फ़ॉर वूमन,
लुधियाना, पंजाब
जब से घर में कोई आया है
सन्नाटा सा छाया है
स्वागत को मैं तैयार खड़ी
धक-धक दिल करें, घड़ी- घड़ी
दिल में डर समाया हैओ
पूरे विश्व से घूमता आया है
वो चीन में जन्मा, इटली में पला
जर्मनी, स्पेन, फ्रांस में घूमा
अब भारत में आया है
चारो तरफ हाहाकार मचाया है
जन-जन को घर में दुबकाया है
हैलो, हाय छोड़कर नमस्कार करवाया है
दोस्तो रिश्तेदारों से दूरी बढाया है
देशभक्ति भारत के जन मानस में जगाया है
‘एकता में बल है’ का पाठ पढ़ाया है
भयावह तबाही लाया है
अपने तांडव से, पूरे विश्व को दहलाया है
हाय, विधाता कैसी है, ये लाचारी
जान बचाना पड़ रहा है भारी
मौत लेने लगी है, आगोश में
कब लोग आयेंगे होश में
जब प्रलय होगा! देश में
खो ना दे सर्वस्व, हम बेकार के जोश में
हमें खुद को जागरूक बनाना है
कोरोना को दूर भगाना है
विश्व में हिन्दुस्तान की जयघोष कराना है
तिरंगे को फिर से विश्व विजयी बनाना है