कांटों के बीच बसने का अलग ही मज़ा है
दुश्मनों के संग हंसने का अलग ही मज़ा है
पतझड़ से सीखा है मैंने जीने का तरीका
उजड़कर फिर सजने का अलग ही मज़ा है
जब सारी दुनिया तुम्हें हारते देखना चाहें
ज़िन्दगी में तब जीतने का अलग ही मज़ा है
झूठ को सच बताकर, सच दबाये जब लोग
तब ही सच लिखने का अलग ही मज़ा है
फूलों से जाना है खिलने का मक़सद संजय
औरों के लिए टूटने का अलग ही मज़ा है
संजय अश्क बालाघाटी
9753633830