पहले वैल्यू पैदा कर
फिर तू अपनी चर्चा कर
हैं सारी खुशियाँ इनसे
अपनो को मत रुसवा कर
ठोक बजाकर परखो खूब
कोई काम न कच्चा कर
तेरा सिक्स है उसका नाइन
दृष्टिकोण भी बदला कर
जी भर बात करो लेकिन
क्या कहना है सोचा कर
बन न सको गर उसके जैसा
उसको अपने जैसा कर
क्यों इनके मुँह लगते हो
नासमझों को चलता कर
ऐ नितान्त स्मरण रहे
कुछ भी कर पर अच्छा कर
समीर द्विवेदी ‘नितान्त’
कन्नौज, उत्तर प्रदेश