कहीं भी मैं चली जाऊँ तू मेरे साथ होता है
हवा में तेरी ख़ुशबू है, यही एहसास होता है
कहाँ साया भी देता साथ, तम में छोड़ देता है
अँधेरे में सदा थामे तू मेरा हाथ होता है
सताता ही रहा मौसम, ख़िजां आई चली आँधी
जिसे कुरबत मिली तेरी, कहाँ बर्बाद होता है
किसी भी बात में मेरी, हमेशा ही रहा शामिल
नसीबों से तेरे जैसा कोई, हमराज होता है
अगर तू दूर जो होता, तुझे आवाज़ भी देती
पुकारूँ क्या जो छाया से भी ज्यादा पास होता है
अंजना वर्मा