राव शिवराज पाल सिंह इनायती
जयपुर, राजस्थान
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मुंह पर हिंदी दिल अंग्रेजी,
बच्चों से भी गिटपिट अंग्रेजी।
कथनी करनी में भेद बहुत है,
राष्ट्र भाषा बनने में देर बहुत है।
दिन दिन शोचनीय होती देखी,
हिंदी द्वार खड़ी मुंह बिसूरती देखी।
गली गली अंग्रेजी स्कूल खुला,
ड्योढ सवाया छोड़ हिंदी गिनती भुला।
करते विश्व भाषा बनाने की हिंदी की बात,
घर में ही पर चूकते नही करने से घात।
हिंदी की चिंदी करने में उनको न कोई शरम है,
अंग्रेजी ही जिनका ‘राव’ धरम करम है