मैंने उसका घर देखा
और कहा उससे
कि तुम्हारा घर बहुत सुंदर है
सुनकर उसने कहा-
‘यह आपका ही घर है’
यह सुनकर मुझे
वह घर और ज्यादा आकर्षक लगा
इसलिए नहीं
कि वह घर मेरा हुआ
बल्कि यह सोचकर
कि जब लोग
दूसरों के घर तोड़ने
हथियाने और हड़पने में मशगूल हों
ऐसे में कोई
बहुत सादगी और संजीदगी से कहे
कि यह आपका ही घर है
तो यह वाक्य बहुत गहराई तक छूता है
हम भव्यता, सम्पन्नता से मकान बना सकते हैं घर नहीं
घर परस्पर स्नेह-सहयोग
समर्पण और प्यार से बनता है
मुझे उस घर में
अपनत्व, आत्मीयता
आदर-सत्कार
सब मिले
इंतजार करते हुए द्वार
मैं उस घर को देखकर
खिल उठा
जैसे सूर्य को देखकर
अंनत पुष्प खिलते हैं
जसवीर त्यागी