नारी हूं कमजोर नहीं हूं
आज बताने आयी हूं
सुकोमल हूं, अबला नहीं हूं
घर-बाहर दोनों ही संभालती हूं
मैं ही सीता, मैं ही दुर्गा
मैं ही लक्ष्मीबाई हूं
धीरज धैर्य की बात चले तो
राधा, रूक्मणी, मीराबाई हूं
माँ, बहन, बेटी, पत्नी बनकर
इस जग में आई हूं
समय बदला नारी का परिवेश बदला
सुष्मिता, कल्पना, साइना बनकर छाई हूं
आसमान में उड़ती, सीमा पर लड़ती
हर क्षेत्र में गौरव बढ़ाती हूं
नारी हूं, कमजोर नहीं हूं
आज बताने आयी हूं
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश