यादों के गुलाब: उषा किरण

उषा किरण
पटना

भले ही उसने अपने मन में
उगाए रहे ढेर सारे कैक्टस
यह उसकी मर्जी
मैंने तो हर लम्हे सँवारे
फकत
उसकी यादों के गुलाब से


इंतज़ार

ना ही कोई वादा
ना ही कोई
कसमें खायीं गईं
प्यार में,
फिर भी हर पल,
गुजरती गई
उसके इंतज़ार में