सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग से आत्मनिर्भर भारत की ओर- मोहित कुमार उपाध्याय

कोरोना संकट के इस भयावह समय में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में मजबूत संकल्प शक्ति का परिचय देते हुए भारत को आत्मनिर्भर बनाने की बात की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत की संकल्पशक्ति ऐसी हैं कि वह आत्मनिर्भर बन सकता है।
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत की इस भव्य इमारत को 5 मजबूत स्तंभों पर खड़ा करने का सपना देखा हैं-
पहला स्तंभ हैं- इकोनाॅमी। ऐसी इकोनाॅमी जो भारत की अर्थव्यवस्था में क्वांटम जंप लेकर आए।
दूसरा स्तंभ हैं- इंफ्रास्ट्रक्चर। ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर जो पुराने तौर तरीकों के विपरीत आधुनिक भारत की पहचान बनें।
तीसरा स्तंभ हैं- सिस्टम। ऐसा सिस्टम जो 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली टेक्नोलॉजी ड्राइव पर आधारित हो।
चौथा स्तंभ हैं- डेमोग्राफी। भारत की डेमोग्राफी स्वयं में विभिन्नता में एकता का परिचय देती आ रही हैं और प्रधानमंत्री ने इसी विभिन्नता वाली डेमोग्राफी को आत्मनिर्भर भारत के ऊर्जा स्रोत के रूप में देखा।
आखिरी और पांचवां स्तंभ हैं- डिमांड। किसी भी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई में संतुलन अति आवश्यक हैं वरना अर्थव्यवस्था के पहिये को गति प्रदान करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, इसीलिए उन्होंने डिमांड और सप्लाई के चक्र को पूरी ताकत और क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
अपने इस संबोधन में प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अर्थव्यवस्था में मांग और आपूर्ति बनाए रखने के लिए जिस ₹20 लाख करोड़, जो जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत है, के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी उसको एक किस्त के रूप में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा ₹6 लाख करोड़ के रूप में जारी किया गया।
यह आर्थिक पैकेज अर्थव्यवस्था के अलग अलग सेक्टर के लिए प्रदान किया गया है, परन्तु प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के सपने को पूरा करने के लिए इसमें कुटीर एवं मझोले उधोग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) पर विशेष बल दिया गया हैं। जो देश के देश की एक बड़ी आबादी के लिए आजीविका का साधन हैं और निर्यात में जिसकी हिस्सेदारी लगभग 30 प्रतिशत है।
इस विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जो भी घोषणा होगी वे पीएम की सोच के मुताबिक लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लाॅ के दायरे में होगी। पूरा फोकस सूक्ष्म,लघु, व मझोली औधोगिक इकाइयों (एमएसएमई) पर होगा। लेकिन हम दूसरे उधोग धंधों के साथ आम जन को भी परेशानी से उबारने में पूरी मदद करेंगे। हमारा मकसद है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी बढ़े एवं भारत एक आत्मनिर्भर देश भी बनें।
इससे स्पष्ट है कि देश की मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार की प्राथमिकता में छोटे एवं मझोले उधोग और एमएसएमई हैं जिन पर रोजगार के रूप में देश के लगभग 11 करोड़ लोगों और उनसे जुड़े परिवारों की निर्भरता है।
यह कदम रोजगार के छिन जाने एवं बेरोज़गारी बढ़ने और अर्थव्यवस्था में मंदी छा जाने की आशंका को दूर करने में काफी सहायक सिद्ध होगा। इससे उधमियों, कामगारों एवं उनसे जुड़े परिवारों के बीच आर्थिक सुरक्षा एवं उत्साह का माहौल पैदा होगा।
अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए अलग-अलग सेक्टर में 15 घोषणाओं के जरिये जो ₹6 लाख करोड़ प्रदान करने के लिए कहा गया उनमें मुख्य फोकस सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग पर दिया गया है। घोषणा के जरिए सरकार द्वारा एमएसएमई सेक्टर को ₹3 लाख करोड़ का गारंटी मुक्त कर्ज प्रदान किया गया है। इस गारंटी मुक्त कर्ज से लगभग 45 लाख कंपनियों को सीधा फायदा होगा। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के लिए न केवल कर्ज प्राप्त करने की राह आसान हो गई बल्कि इन उधोगों पर आश्रित करोड़ों लोगों के रोजगार को सुरक्षित करने की आशा भी सफल साबित होगी।
दूसरी ओर सरकार ने लंबे सिरे से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग को नए सिरे से परिभाषित किया। यह कदम उत्पादन एवं निर्यात और मांग एवं आपूर्ति के चक्र को उचित ढंग से चलायमान रखने में कारगर सिद्ध होगा।
सरकार के इस कदम से उधमियों को कर्ज लेने के लिए किसी भी प्रकार की गारंटी फीस नहीं देनी होगी और न ही कर्ज प्राप्त करने के लिए गारंटी के रूप में गिरवी जैसी रस्म अदायगी निभानी होगी। इस कर्ज की अवधि 4 साल होगी और पहले के 12 महीनों तक संबंधित उधमी मूलधन भुगतान से मुक्त रहेंगे।
इसके साथ शर्त यह हैं कि 100 करोड़ तक का कारोबार करने वाले 25 करोड़ तक की देनदारी रखने वाले इस स्कीम के तहत कर्ज ले सकेंगे। सरकार की इस घोषणा से कर्ज न मिलने की समस्या से जूझ रही एमएसएमई को एक बड़ी समस्या का हल मिल गया।
इससे छोटी इकाइयां बैंकों से आसानी से कर्ज लेकर अपनी आर्थिक गतिविधियां संचालित कर सकती हैं और काम करने योग्य देश के एक बड़े वर्ग को रोजगार प्रदान कर बेरोज़गारी जैसी समस्या का, जो कोरोना संकट के रूप में बढ़ने की संभावना है, को दूर करने में सहायक साबित हो सकती है ।
इसके अलावा यह कदम लाॅकडाउन के बाद शुरू होने वाली इन औधोगिक इकाइयों में छंटनी की आशंका को निर्मूल करने में उपयोगी भूमिका अदा करेगा आर्थिक पैकेज की इस घोषणा में सरकार द्वारा रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों को रेरा कानून के मुख्य प्रावधानों से 6 महीनों की छूट प्रदान की गई। इससे रियल एस्टेट कंपनियों को एक बड़ा लाभ मिलने की संभावना है।
वहीं बिजली वितरण कंपनी डिस्काॅम्स को बकाया भुगतान करने के लिए ₹90 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई । इससे संकट में फंसी कंपनियों को उबारने में मदद मिलेगी।
दूसरी ओर लंबे समय से लिक्विडिटी की समस्या से परेशान एनबीएफसी के लिए आर्थिक पैकेज में गारंटी कर्ज के रूप में ₹75 हजार करोड़ प्रदान किए। एनपीए (गैर निष्पादित संपत्ति) की लगातार बढ़ती समस्या के कारण बैंक इन कंपनियों को ॠण देने में आनाकानी करते हैं जिस कारण इन कंपनियों को धन की कमी के कारण एक बड़े संकट का सामना करना पड़ता है लेकिन सरकार द्वारा गारंटी प्रदान करने के कारण इन कंपनियों को ॠण मिलने में आसानी होगी। इसके लिए अलग से ₹30 करोड़ का स्पेशल लिक्विडिटी फंड बनाने की घोषणा की गई।
यह स्पेशल लिक्विडिटी फंड अधिक रेटिंग वाली नाॅन बैंकिंग फायनेंसियल कंपनी ( एनबीएफसी) या ऐसी वित्तीय संस्थानों को ॠण के रूप में दी जाने वाली पूरी राशि पर सरकारी गारंटी के रूप में होगा। आशा हैं कि प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जो ₹6 लाख करोड़ के इकोनाॅमी बूस्टर की घोषणा की गई वह आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम एवं अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा। इसके लिए सरकार को प्रशासनिक एवं बैंकिंग तंत्र की भी निगरानी की आवश्यकता हैं ताकि लालफीताशाही के जाल से मुक्त करके घोषणाओं का व्यवहारिक रूप में कार्यान्वयन किया जा सकें।

-मोहित कुमार उपाध्याय