‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी’ गीत की लोकप्रियता के 93 साल: पंकज स्वामी

पंकज स्वामी

सुभद्रा कुमारी चौहान के गीत ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’ को लिखे 93 साल से हो गए हैं। यह कविता किसी फिल्मी गीत से ज्यादा लोकप्रिय है। संदर्भ यह है कि आज सुभद्रा कुमारी चौहान का तिथि के अनुसार नागपंचमी के दिन जन्मदिवस है। आज भी यह गीत अपनी लोकप्रियता को निरंतर बनाए रखे हुए है। इस गीत को पीढ़ी दर पीढ़ी याद रखा जाता है। सुभद्रा कुमारी चौहान का यह गीत उनके पहने काव्य संग्रह ‘मुकुल’ में प्रकाश‍ित हुआ था। इस बात की पूरी संभावना है कि काव्य संग्रह में शामिल यह गीत पहले लिखा गया हो लेकिन ‘मुकुल’ की प्रस्तावना में सुभद्रा कुमारी चौहान ने जबलपुर का पता लिखा है। उस समय वे जबलपुर जेल में कैदी थीं। पते के साथ तारीख है 13 नवम्बर 1930।

सुभद्रा कुमारी चौहान जनता के बीच में आ कर ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’ गीत को गा कर सुनाया करती थीं। उनका गीत सरल व सहज जनभाषा में था। गीत सुनने वालों में जोश भर जाता था। सुभद्रा कुमार चौहान के इस गीत को लोकप्रिय और आम लोगों में उसके प्रभाव को देख कर अंग्रेजों ने इसे जब्त कर लिया। इसका कोई असर नहीं हुआ, इसके उलट लोगों ने इसे कंठस्थ कर लिया और बच्चे प्रभातफेरियों में गाने लगे।

सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने गीत का आधार बुंदेलखंड में प्रचलित लोक शैली बुंदेला-हरबोलों की गायन शैली को बनाया था। उनका यह गीत पद्यात्मक स्वरूप में होते हुए भी एक पूरी कथा प्रस्तुति है।

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म इलाहाबाद के एक गांव निहालपुर में हुआ। विवाह खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ। उन दिनों माखनलाल चतुर्वेदी जबलपुर से ‘कर्मवीर’ साप्ताहिक समाचार पत्र निकालते थे। माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कर्मवीर’ के संपादक मंडल में ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान को शामिल करने जबलपुर बुला लिया। ठाकुर लक्ष्मण सिंह जबलपुर आए तो उनके साथ सुभद्रा कुमारी चौहान जबलपुर आ गईं। माखनलाल चतुर्वेदी के साथ लक्ष्मण सिंह व सुभद्रा कुमारी चौहान स्वतंत्रता आंदोलन में सक्र‍िय रूप से शामिल हो गए।

देश के पहला झंडा सत्याग्रह जो जबलपुर में हुआ, उसमें सुभद्रा कुमारी चौहान ने प्रमुख भूमिका निभाई। जबलपुर के बाद नागपुर में भी झंडा सत्याग्रह आरंभ हुआ और इसका नेतृत्व सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया। नागपुर के झंडा सत्याग्रह में भागीदारी करने के लिए जबलपुर से तीन जत्थे भेजे गए थे। इन जत्थों का नेतृत्व माखनलाल चतुर्वेदी व विश्वंभरनाथ पांडे ने किया था। सुभद्रा कुमार चौहान सन् 1932 में हुए नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस की ओर से सदस्य चुनी गईं। वे 1937 में धारा सभा के चुनाव में महिलाओं की ओर से चुनी गईं।

15 फरवरी 1948 को जब एक दुर्घटना में सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन हुआ, तब उनकी आयु मात्र 44 वर्ष थी। भारतीय डाक तार विभाग ने 6 अगस्त 1976 को सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में एक डाक ट‍िकट जारी किया था। भारतीय तटरक्षक सेना ने 28 अप्रैल 2006 को सुभद्रा कुमारी चौहान को सम्मानित करते हुए तटरक्षक जहाज का नाम उनके नाम पर रखा। सुभद्रा कुमारी चौहान की एक आदमकद प्रतिभा इलाहाबाद नगर पालिका में 27 नवम्बर 1949 को और दूसरी प्रतिभा जबलपुर नगर निगम परिसर में 1973 को स्थापित की गई। दोनों प्रतिभाओं का अनावरण सुभद्रा कुमारी चौहान की बचपन की मित्र महादेवी वर्मा ने किया। जबलपुर में जब प्रतिभा का अनावरण हुआ तब भारतीय सेना के जनरल जेएस अरोरा भी आमंत्रि‍त किए गए थे। सुभद्रा कुमारी चौहान की आत्मकथा ‘मिला तेज से तेज’ का लेखन उनकी पुत्री सुधा चौहान ने किया था। सुधा का विवाह मुंशी प्रेमचंद के पुत्र अमृतराय के साथ हुआ था।