माननीयों के खर्च जस के तस: कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के लिए आर्थिक संकट का फर्जी रोना

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मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि कोरोना महामारी की रोकथाम में मुख्यमंत्री सहायता कोष में शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारियों ने अपने वेतन का हिस्सा देने के साथ साथ अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रदेश व जिला स्तर पर आर्थिक सहयोग दिया है।

प्रदेश सरकार के सभी विकास कार्य व उनके भुगतान निरंतर जारी हैं, यहाँ तक कि माननीयों के खर्चे जैसे वेतन-भत्ते, बंगले का रख-रखाव, गाड़ी, पेट्रोल-डीजल, टेलीफोन आदि खर्चों में किसी प्रकार की कोई कटौती नहीं की गई है, जबकि कर्मचारियों द्वारा करोड़ों रुपये की राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष में देने के बाद भी उन्हें विगत दो वर्षों से प्रदेश में आर्थिक संकट का फर्जी रोना रोकर वेतन भत्तों में किसी प्रकार की कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है।

शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रतिवर्ष लगने वाली वेतन वृद्धि, महंगाई भत्ता आदि से भी वंचित रखा गया है। शासन द्वारा शासकीय, अर्द्धशासकीय, निगम, मण्डल के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के साथ किये जा रहे इस सौतेले व्यवहार से प्रदेश के लगभग 10 लाख कर्मचारी एवं अधिकारियों के साथ उनके परिजानों में भी भारी आकोश व्याप्त है, सरकार की कथनी व करनी में बहुत अंतर है।

संघ के आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, दुर्गेश पाण्डेय, अरूण दुबे, विनोद साहू, बलराम नामदेव, आशुतोष तिवारी, सुरेन्द्र जैन, डॉ संदीप नेमा, वीरेन्द्र चंदेल, एस.पी. बाथरे, ब्रजेश मिश्रा, तुसेन्द्र सिंह, परसुराम तिवारी, मनोज सिंह, मुकेश मिश्रा, योगेश कपूर, अमित गौतम, पंकज जयसवाल, चुरामन गर्जर, सी. एन. शुक्ला, सतीश देखमुख, ऋतुराज गुप्ता, श्यामनारायण तिवारी, नितिन शर्मा, महेश कोरी आदि ने मुख्यमंत्री को पत्र ईमेल के माध्यम से भेजकर शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारियों की वेतन वृद्धि व महंगाई भत्तों को शीघ्र प्रदान किये जाने की मांग की है।