एमपी की बिजली कंपनियों का अस्तित्व बचाने अनिवार्य है नियमित पदों पर भर्ती: यूनाइटेड फोरम

मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर के प्रांतीय संयोजक व्हीकेएस परिहार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि मध्यप्रदेश की विद्युत कंपनियों में जहां एक ओर विद्युत उपभोक्ताओं एवं अधोसंरचना में निरंतर अत्यधिक वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर सभी वर्गों में नियमित एवं अनुभवी कर्मचारियों की भारी कमी है, जिससे प्रदेश की विद्युत वितरण व्यवस्था, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत सोचनीय स्थिति को प्राप्त हो रही है, इससे बहुधा उपलब्ध कार्यरत कर्मचारियों को उपभोक्ताओं के आक्रोश का सामना करना पड़ता है।

इस संबंध में यूनाईटेड फोरम लगातार पिछले 5-6 वर्षों से बढ़े हुए उपभोक्ता एवं अधोसंरचना के अनुसार संगठनात्मक संरचना को पुनरीक्षित कर नियमित भर्ती की मांग करता आ रहा है। लेकिन शासन प्रबंधन की अरुचि एवं व्यवस्था में सुधार की दृढ़ इच्छा शक्ति न होने के कारण आज तक विद्युत वितरण कंपनियों के संगठनात्मक संरचना को अंतिम रूप न दिया जाना प्रबंधन की दिशाहीनता एवं लापरवाही को दर्शाता है। जबकि मैदानी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की निरन्तर सेवानिवृत के कारण फील्ड में कर्मचारियों की भारी कमी महसूस की जा रही है, जिससे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की विद्युत व्यवस्था को सुचारूप रूप से संचालित करना कठिन होता जा रहा है।

विगत सप्ताह पूरे देश की विद्युत वितरण कंपनियों की रेटिंग की सूची जारी की गई है, जिसमें गुजरात राज्य की चारों शासकीय कंपनियां देश में शीर्ष स्थान पर है, जबकि मध्यप्रदेश की वितरण कंपनियों में से एक पश्चिम क्षेत्र कंपनी 24 वें स्थान पर एवं दो अन्य वितरण कंपनियां देश की 52 वितरण कंपनियों की सूची में पूर्व क्षेत्र कंपनी एवं मध्य क्षेत्र कंपनी क्रमशः 47 वें एवं 48 वें स्थान पर प्रतिस्थापित है, जो कि लगभग हर वर्ष इन्ही स्थितियों में रहती है।

वितरण कंपनियों के वर्षों से लंबित संगठनात्मक संरचना के संबंध में फोरम के संज्ञान में आया है कि प्रबंधन द्वारा पुनः अपनी हठधार्मिता का परिचय देते हुए निम्न अव्यवहारिक प्रस्ताव किये जा रहे हैं। जिसमे विगत दशक में जहां उपभोक्ताओं की संख्या व विद्युत अधोसंरचना जैसे उपकेन्द्रों, ट्रांसफार्मर, 11 केवी लाइन, एलटी लाइन दो गुनी हो गई है तथा नये क्षेत्रीय वृत्त एवं संभागीय कार्यालयों का सृजन किया गया, वहीं प्रस्तावित संरचना में वरिष्ठ अधिकारियों की संख्या में कमी की जा रही है।

वहीं कनिष्ट यंत्री, तकनीकी सहायक एवं लाईन कर्मचारियों को पूरे पदों को संविदा एवं आऊटसोसिर्ग के आधार पर भरने का प्रस्ताव है, जबकि विद्युत विभाग के कार्य हेतु तकनीकी दक्षता, अनुभव एवं निरंतरता आवश्यक है एवं तकनीकी कर्मचारियों के पदों पर संविदा एवं आऊटसोर्सिंग से नियुक्त कर विभाग की दक्षता समाप्त करने की एक सोची समझी रणनीति है। जो कि पुनः प्रबंधन की अदूरदर्शिता दर्शाता है एवं इसके प्रदेश की विद्युत व्यवस्था पर दूरगामी विपरीत प्रभाव होंगे।

परीक्षण सहायक के पद पर संविदा व आउटसोर्स से भर्ती प्रस्तावित है इन अनुभवहीन परीक्षण सहायकों द्वारा करोडों रूपये के उपकरणों का संचालन संधारण किया जायेगा। विगत अनुभव दर्शाता है कि इससे विद्युत दुर्घटनाओं में अत्यधिक वृद्धि होगी तथा निर्वाध विद्युत आपूर्ति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। आईटी एवं कुछ अन्य वर्गों में भी पदोन्नित के अवसर समाप्त कर दिये गये है।

इसी प्रकार भृत्य के सभी पद समाप्त कर दिये गये एवं लाईन कर्मचारियों को आऊटसोर्सिग से नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया गया है, जबकि अनुकंपा नियुक्तियाँ इन पदों के विरूद्ध ही प्रदान की जाती है एवं ज्ञातव्य है कि वर्तमान में हजारों अनुकंपा नियुक्तियाँ लंबित है। अतः भृत्यों एवं लाईन कर्मचारियों के नियमित पद निर्मित किये जाये एवं अनुकंपा नियुक्तियों के लंबित पदों को उक्त पदों से भरा जाना चाहिये। इस प्रस्तावित अव्यवहारिक संगठनात्मक संरचना का फोरम हर स्तर पर विरोध करता है। इस प्रकार के प्रस्ताव न केवल प्रबंधन की अनुभवहीनता को दर्शाते हैं बल्कि प्रदेश की विदयुत वितरण कंपनियों के देश की अन्य विद्युत वितरण कंपनियों की तुलना में स्तरहीन प्रदर्शन के कारणों की गाथा भी कह जाते हैं । 

यूनाइटेड फोरम मांग करता है कि प्रदेश में विद्युत क्षेत्र में संविदा एवं बाह्य स्त्रोत नियुक्तियों को संपूर्ण रूप से समाप्त करते हुए मप्र की विद्युत कंपनियों में भी गुजरात राज्य के मॉडल को लागू किया जाये, जिससे मप्र में न केवल राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी बल्कि इससे प्रदेश की विद्युत व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार भी परिलक्षित होगा। इससे मप्र में कार्यरत संविदा एवं आऊटसोर्स कर्मचारियों को नियमित कर उन्हें बेहतर सेवा शर्तें एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का रास्ता भी साफ होगा एवं प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने में तथा राजस्व संग्रहण में भी निरंतर सुधार परिलक्षित होगा।